क्या ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमित हो सकते हैं लोग?

क्या ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमित हो सकते हैं लोग?

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस इस समय एक अनसुलझी पहेली बनती चली जा रही है। लगातार इससे बचने के तरीके ढ़ुढ़े जा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है। रोजाना ऩई-नई रिसर्च किए जा रहे हैं लेकि सब फेल होता जा रहा है। फिलहाल राहत वाली बात है कि कई मरीज ठीक भी हो चुके है। लेकिन सवाल है कि क्या जब कोई दवा या वैक्सीन नहीं है तो कैसे मरीज ठीक हो रहे है। अगर ठीक भी हो रहे तो क्या उन्हे दोबारा ये वायरस अटैक नहीं करेगा। ऐसे सवाल पर भी लगातार वैज्ञानिक जुटे है और इस सवाल के जवाब की खोज कर रहे है। आपको बता दे कि जो लोग कोरोनावायरस से ठीक होने के बाद दोबारा टेस्ट में पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, वे दरअसल दोबारा कोरोनावायरस से संक्रमित नहीं हो रहे हैं। एक हालिया अध्ययन में यह खुलासा किया गया है।

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दक्षिण कोरिया के अस्पतालों से डिस्चार्ज किए गए मरीजों की टेस्ट रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आने के बाद यह चिंता बढ़ गई थी कि लोगों को दोबारा कुछ ही दिनों के अंदर एक से ज्यादा बार कोरोनावायरस का संक्रमण हो रहा है। लेकिन, कोरोनावायरस टेस्ट के लिए उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया में वायरस के जेनेटिक मटीरियल की जांच की जाती है। एक पॉजिटिव परिणाम इस बात का संकेत नहीं है कि व्यक्ति वायरस फैला रहा है या दूसरों को संक्रमित कर रहा है। सक्रिय संक्रमण में मरीज दूसरों तक इस बीमारी को फैलाने में सक्रिय होता है।

19 मई को कोरियन सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रीवेंशन की तरफ से आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दोबारा संक्रमित हुए व्यक्तियों के नमूनों संक्रामक नहीं पाए गए। इस निष्कर्षों से पता चलता है कि टेस्ट में असंक्रामक और मृत वायरस के जेनेटिक मटीरियल की भी पहचान हो जा रही है। शोधकर्ताओं ने कहा, संक्रामक वायरस की कमी का मतलब है कि ऐसे लोग वर्तमान में संक्रमित नहीं है और कोरोनावायरस नहीं फैलाएंगे। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के विरोलॉजिस्ट एंजेला रासमुससेन ने इसे अच्छी खबरा बताया। उन्होंने कहा, ऐसा लग रहा है कि लोग दोबारा संक्रमित नहीं हो रहे और वायरस दोबारा सक्रिय नहीं हो रहा है।

कैसे किया शोध

शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने दोबारा पॉजिटिव पाए गए 108 मरीजों के नमूनों से संक्रामक कोरोनावायरस को पृथक करने की कोशिश की। पृथक नमूनों को टेस्ट करने से ये सभी नेगेटिव पाए गए। वैज्ञानिकों ने जब इनमें से 23 मरीजों के शरीर में एंटीबॉडी की जांच की, तो सभी में एंटीबॉडी पाए गए जो वायरस को कोशिकाओं में जाने से रोकती है। यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया लोगों को दोबारा संक्रमित होने से बचा सकती है। रासमुससेन ने कहाअब हम दोबारा संक्रमित होने की चिंता से मुक्त हो सकते हैं।

 

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